एक ही साथ 103 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा इसरो

Spread the love ~ to Share other Platforms

[ad_1]

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) फरवरी के पहले हफ्ते में अपने प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी37 का इस्तेमाल कर रिकॉर्ड 103 उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी दक्षिण एशियाई उपग्रह परियोजना मार्च में शुरू होगी ।

फरवरी में जिन 100 से ज्यादा उपग्रहों का प्रक्षेपण होना है वे अमेरिका और जर्मनी सहित कई अन्य देशों के हैं।

इसरो के लिक्विड प्रॉपल्शन सिस्टम्स सेंटर के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया, “एक ही साथ 100 से ज्यादा उपग्रहों का प्रक्षेपण कर हम शतक बनाने जा रहे हैं।”

सोमनाथ ने बताया कि इससे पहले इसरो ने जनवरी के आखिरी हफ्ते में एक साथ 83 उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना बनाई थी, जिसमें से 80 विदेशी उपग्रह थे। लेकिन इनमें 20 और विदेशी उपग्रहों के जुड़ जाने के कारण प्रक्षेपण की तारीख करीब एक हफ्ते आगे बढ़ा दी गई। ये प्रक्षेपण अब फरवरी के पहले हफ्ते में होगा।

बहरहाल, उन्होंने उन देशों की संख्या के बारे में नहीं बताया जो इस मिशन में अपने उपग्रहों का प्रक्षेपण करेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसमें अमेरिका और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं।

सोमनाथ ने कहा, “ये 100 सूक्ष्म-लघु उपग्रह होंगे, जिनका प्रक्षेपण पीएसएलवी-37 के इस्तेमाल से किया जाएगा। पेलोड का वजन 1350 किलोग्राम होगा, जिसमें 500-600 किलोग्राम उपग्रहों का वजन होगा।” भारत के अंतरिक्ष इतिहास में यह प्रक्षेपण एक बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर पहले कभी प्रक्षेपण नहीं हुए।

पिछले साल इसरो ने एक ही बार में 22 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था और फरवरी के पहले हफ्ते में होने वाले प्रक्षेपण में उपग्रहों की संख्या करीब पांच गुना ज्यादा होगी।

इसरो के असोसिएट निदेशक एम नागेश्वर राव ने बताया कि दक्षिण एशियाई उपग्रह जीसैट-9 का हिस्सा होगा जिसे इस साल मार्च में प्रक्षेपित किया जाएगा । इस संचार उपग्रह का प्रक्षेपण दिसंबर 2016 में होना था, लेकिन इसमें थोड़ी देर हो गई क्योंकि कुछ अन्य उपग्रहों का प्रक्षेपण पहले किया जाना था । सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना में अफगानिस्तान को शामिल करने के लिए उससे चल रही बातचीत अंतिम चरण में है । पहले दक्षेस उपग्रह के तौर पर ज्ञात रही यह परियोजना भारत के पड़ोसी देशों के लिए तोहफा मानी जा रही है । पाकिस्तान इस परियोजना पर कड़ा विरोध जताता रहा है । पाकिस्तान इसे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय फोरम के बैनर तले प्रक्षेपित कराना चाह रहा था । बाद में वह परियोजना से अलग हो गया। भारत के अलावा, इस उपग्रह से श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान को फायदा मिलेगा।

[ad_2]
Source link


Discover more from Dhakadsahab.com

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

error: Content is protected !!

Discover more from Dhakadsahab.com

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading