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अधिकारी ने कहा कि तय समयानुसार सुबह छह बजे दो स्टेज/इंजन वाले आरएच-560 साउंडिंग रॉकेट ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से उड़ान भरी।
अधिकारी ने कहा कि दोनों इंजन रॉकेट की दिवार पर जैसे चिपके हुए थे और सामान्य रूप से जब रॉकेट 11 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचता है, स्क्रैमजेट इंजन सांस लेना शुरू करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि स्क्रैमजेट इंजन रॉकेट की उड़ान के दौरान 55 सेकंड तक चालू रहे और छह सेकंड में इंजनों का परीक्षण किया गया।
स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग तभी किया जाता है, जब रॉकेट उड़ान के दौरान वायुमंडल में होता है। इससे ईंधन के साथ जाने वाले ऑक्सीडाइजर की मात्रा घटा कर प्रक्षेपण लागत घटाने में मदद मिलेगी।
इसरो ने बाद में बयान जारी कर कहा, “इस परीक्षण से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया। इसमें सुपरसोनिक गति पर स्क्रैमजेट इंजनों का प्रज्वलन, सुपरसोनिक गति पर लपट को बरकरार रखना, हवा लेने के तंत्र और ईंधन इन्जेक्शन प्रणालियों के प्रदर्शन शामिल थे।”
स्क्रैमजेट इंजन को इसरो ने तैयार किया है। इसमें ईंधन के रूप में हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाता है। इस परीक्षण के लिए इसरो के उन्नत प्रौद्योगिकी यान (एटीवी) का इस्तेमाल किया गया। उड़ान भरने के दौरान इस रॉकेट का वजन 3,277 किलोग्राम था। इसरो के मुताबिक, “स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण करने वाला भारत चौथा देश है।”
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