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पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस’ में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कुछ ढलानों पर गर्मी के मौसम में बनी धारियों का अध्ययन किया, जिसके बारे में पहले माना जाता था कि वे खारे पानी के बहने से बनी होंगी।
युनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में प्लैनेटरी जियोलॉजी के प्रोफेसर अल्फ्रेड एस.मैकएवेन के मुताबिक, अध्ययन दल ने मंगल ग्रह पर पानीयुक्त अणुओं (परक्लोरेट) की पहचान की है।
डॉक्टर मैकएवेन ने उल्लेख किया, “मंगल ग्रह पर खारे पानी का स्पष्ट तौर पर पता चला है।”
नासा ने अपने मुख्यालय में जेम्स वेब ऑडिटोरियम में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस खोज का विवरण भी प्रदान किया।
लगभग 4.5 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर अभी की तुलना में साढ़े छह गुना अधिक पानी और एक स्थूल वायुमंडल था।
अधिकांश पानी अंतरिक्ष में गायब हो गया और इसका कारण मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह लंबे समय तक चुंबकीय क्षेत्र नहीं होना रहा।
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