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SIGCOMM 2021 डेटा कम्यूनिकेशन कॉन्फरेंस में ‘सोलर सुपरस्टॉर्म: प्लानिंग फॉर अ इंटरनेट एपोकैलिप्स’ टाइटल वाली स्टडी को पेश किया गया था। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, इरविन की इसकी लेखिका संगीता अब्दु ज्योति लिखती हैं कि मॉडर्न टेक्नोलॉजीकल एडवांस्मेंट कमजोर सोलर एक्टिविटी के दौरान ही हुई है और निकट भविष्य में सूर्य के और अधिक सक्रिय होने की उम्मीद है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले दशक में अंतरिक्ष का मौसम पृथ्वी पर सीधा प्रभाव डाल सकता है जिसकी संभावना 1.6 से 12 प्रतिशत के बीच होगी। रिसर्च के अनुसार, क्षेत्रीय इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने के सौर तूफान में भी नुकसान का कम जोखिम रहेगा क्योंकि ऑप्टिकल फाइबर खुद ही धरती की मेग्नेटिक धारा से प्रभावित नहीं होता है। मगर पानी के नीचे बिछे लंबे केबल के लिए जोखिम अधिक है। यदि एक सौर तूफान इन केबलों में से कईयों को खराब करता है, तो यह क्षेत्रीय इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर को बरकरार रखते हुए भी देशों के बीच कनेक्टिविटी आउटेज का कारण बन सकता है।
“हमारा बुनियादी ढांचा बड़े पैमाने के सोलर इवेंट के लिए तैयार नहीं है। हमें इस बात की बहुत सीमित समझ है कि नुकसान कितना होगा,” अब्दु ज्योति ने Wired के हवाले से कहा। महामारी और दुनिया की तैयारियों ने ग्लोबल लेवल पर किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए शोधकर्ता को इंटरनेट के इस जोखिम के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।
एक भीषण सौर तूफान के लिए, पृथ्वी के पास तैयारी के लिए लगभग 13 घंटे का समय होगा, अब्दु ज्योति ने कहा। हाल के इतिहास में केवल दो ऐसे तूफान दर्ज किए गए हैं – 1859 में और 1921 में।
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