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चीन लगभग दो दशकों से बहुत सीमित पैमाने पर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है। शंघाई में एक छोटी मैग्लेव लाइन है जो इसके एक हवाई अड्डे से शहर तक चलती है। चूंकि चीन में अभी तक कोई अंतर-शहर या अंतर-प्रांत मैग्लेव लाइनें नहीं हैं जो उच्च गति का अच्छा उपयोग कर सकें, शंघाई और चेंगदू सहित कुछ शहरों ने इस पर रिसर्च करना शुरू कर दिया है।
600 किमी प्रति घंटे की स्पीड पर बीजिंग से शंघाई तक ट्रेन से यात्रा करने में केवल 2.5 घंटे लगेंगे। यह 1,000 किमी (620 मील) से अधिक की यात्रा होगी। तुलनात्मक रूप से यात्रा में हवाई जहाज से 3 घंटे और हाई-स्पीड रेल द्वारा 5.5 घंटे लगेंगे।
जापान से लेकर जर्मनी तक के देश भी मैग्लेव नेटवर्क बनाने की सोच रहे हैं, हालांकि उच्च लागत और मौजूदा ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ असंगति इसमें तेजी से विकास के लिए बाधा बनी हुई है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीन अपनी तकनीकी को बहुत तेजी से विकसित कर रहा है। मगर ये ट्रेन बदलते जलवायु समीकरण के प्रभाव से अकस्मात मौसमी मार और प्राकृतिक आपदाओं के समय में सुरक्षा की कसौटी पर कितनी खरी उतरती है यह आने वाले समय में ही पता लगाया जा सकता है।
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